Wednesday, November 10, 2010

झींगुर की प्रतिध्वनी

कितनी चिर परिचित सी लगती है झींगुर की प्रतिध्वनी ,
बचपन में ये मुझे डराया करती थी ...
मैं सोचा करती थी , ये ले जा लेगी मुझे मेरे दुनिया से दूर ..
अक्सर सोचते थी की ये क्यूँ बोला करते हैं ?
अनायास ही मैं भूल सा गयी थी ईस प्रतिध्वनी को ..
शायद घनी निद्रा के आगोश में रहते थी ...
एक दिन कांच की तरह स्वप्न के टूटने से चैतन्य सी हो गयी थी ..
पुनः सुनाये दी झींगुर की प्रतिध्वनी तो समझ आया ...
ये कहा करते हैं की कितने भाग्यशाली हो तुम ,
जो तुम्हारी बोली को हर कोई समझ लिया करता हैं ...
और एक मैं हूँ जो स्वयं अपनी करुण वेदना सुनाया करता हूँ ..
तो भी बच्चे डरा करते हैं ......
कितनी चिर परिचित सी लगती है झींगुर की प्रतिध्वनी ...

खौफ

   I had done M.Sc from Pantnagar and now I get opportunity to teach Physics 
and Electronics there. We felt a lot of terror when we were student of there from Head of the department and now when I teach there I still felt terror. I want to share my this experience with all.

अक्सर कहते है , बड़ा ही खौफनाक मंजर था ...
क्या सार्थक है ये खौफ शब्द ...?
ईस खौफ शब्द के विभिन्न मायने !!!
कभी किसी को मंजर से खौफ लगता है तो कभी किसी को धवनी से ..
हर कोई डरता है इन खौफनाक मंजरों से ..
कभी किसी बड़े का होता है ये खौफ ..
अक्सर जब में पढाया करते हूँ ...
काफी प्यार से बोला करते हूँ बच्चों से ...
क्यूँ की उंची आवाज से मुझे डर लगता था ..
पर अचानक से अगर कभी किसी की आवाज सुनाये दे जाय
तो छा जाता है सन्नाटा सा .....
शायद मेरे साथ ओरों को भी लगता है ईस आवाज से खौफ ...

अहमियत

       We often think about the value of words..I think communication is necessary for every
 relation of this world..Lack of necessity creates misunderstanding .So the words are important
for everything..So I write something for the importance of words named "Ahmiyat"

अक्सर बोला करते हैं अहमियत शब्द ...
क्या कभी समझ पाए ईस की गहरायी को ..
कितने परिवर्तनशील है ये अहमियत ...
उम्र के पड़ावों के साथ बदल जाते है ये अहमियत ...
जब हम मासूम होते हैं तब हमारे लिए
पेन , पेंसिल और चित्रकारी रखते है अहमियत ...
धीरे धीरे बाल सुलभ चेष्टाएँ परिवर्तित हो जाते हैं ...
और कुछ शब्द रखने लगते हैं हमारे लिए अहमियत ..
वो शब्द जो हम सुनना चाहते है , रखने लगते हैं अहमियत ..
पर कहने वाला कहता ही नही, शायद नही रखते हम असके लिए अहमियत ..
या कभी कोई और सुनना चाहता है हम से वो शब्द ..
और हम कह नहीं पाते या फिर कहना नही चाहते वो शब्द ..
शायद हम नहीं जानते उन शब्दों की अहमियत ..
उन शब्दों के इंतजार में यूँ ही गुजर जाते है जिन्दगी
जो की रखती है सब के लिए अहमियत .......