Sunday, August 21, 2011

एक परिंदा उड़ने चला

एक  परिंदा  उड़ने  चला ,
नीले  गगन  में  उड़ने  चला!!

उंचे  आसमान  में उड़ने चला,
अपने आप में सिमटा  हुआ  चला !!

बादलों  को  छूने  का  ख्वाब  आखों  में बसाये  चला,
सूरज  को छूने की  तमन्ना  लिए  चला!!

दिल  में नीचे गिरने  का दर  बसाये चला,
मेरे  पंख जल  न  जाये  ये  सोचते  हुए  चला!!

एक  परिंदा उड़ने  चला,
नीले गगन में उड़ने   चला!!

Tuesday, August 16, 2011

महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं,


महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं,
कैसा स्वतत्रंता  दिवस और किसका स्वत्रंता दिवस?
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

कैसा १५ अगस्त और कैसी २६ जनवरी ?
कैसा लोकत्रंत है और किसका लोकत्रंत ?
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

सरे आम  हुई लोकत्रंत की हत्या , हो के अन्ना की गिरफ़्तारी
लोकत्रंत का यहाँ सम्मान नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!

शहीदों ने की थी आजादी की कामना,
अपने लोगों की गुलामी को किया था बलिदान नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!

माफ़ करना तुम  इस देश की जनता को,तुम्हारा सपना रहा अधूरा,
आजादी का हुआ सम्मान नहीं,
मिली  स्वत्रंता ऐसी जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

देश बन गया भ्रष्टाचार का भंडार,स्वत्रंतता अ यहाँ नाम नहीं 
नेता घूम रहे खुले आम लिए घोटालों का भंडार
वहीँ आम आदमी कोजीने का अधिकार  नहीं!!

 स्विस बैंक में नेताओं के  नोटों का भंडार,
आम आदमी के पास  खाने  को अनाज  नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!
     
अन्ना हमको पूरी आजादी दिलाओ जो शहीदों ने चाही, 
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार मिले 
वर्ना हमको जीने का अधिकार नहीं!!

Sunday, August 14, 2011

एक सुहाना सफ़र



             इस बीच काफी व्यस्तता सी रही , तो ब्लॉग पे आने का ,कुछ लिखने का, कुछ कहने समय ना मिल पाया. आज सोचा कुछ शब्द लिखूंलिखूं उन भावनाओ को जो एक इंसान के मन में शादी करते समय आती हैं. उम्मीद है आप लोगों का समर्थन और स्नेह मुझे मिलेगा, मेरे इस नए सफ़र में . तो इसी उम्मीद  के साथ ब्लॉग में एक हलचल करती हूँ.

एक नया एहसास, कुछ नए अल्फाज,
पल पल हम बढ़ रहे साथ साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

वो सफ़र जो लाया अपने साथ,
कुछ नए लम्हात,कुछ नए एहसास,
कुछ नए दिन और कुछ नयी बात!!

पा कर आप सभी का प्यार,
बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

आँखों में लिए सपने हज़ार,करना है जिनको  साकार,
बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

सामने खडी है एक नयी जिंदगी,
स्वागत को उत्सुक परिवार,ले कर उम्मीदे हज़ार,
बढ़ चले एक नए सफ़र पे , ले कर सबको साथ!!
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

आयीं है नयी खुशियाँ और सपने  हज़ार,
करना है जिनको साकार,
हम बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

सामने खड़े हैं कुछ नए पल,
इंतजार किया जिनका हर पल!!
नए रिश्तों को संजोते हुए
हम बढ़ चले एक नए सफ़र पे, एक नयी डगर की ओर!!

Friday, April 1, 2011

तेरे वास्ते

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
खुशियों से भरे हो तेरे रास्ते,
महफ़िलें सजती रहें तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
मुस्कराहट तेरे चेहरे पे बस जाये ऐसे,
खुशबू से फूलों का साथ है जैसे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कामयाबी से भरे हों तेरे रास्ते,
खुशियाँ बरसे तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कोशिश कामयाबी में बदल जाये तेरे वास्ते
असफलता सफलता में बदल जाये तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
धरती की गहराइयाँ भी कम  हो तेरी खुशियों के आगे ,
आसमान की ऊँचाइयाँ भी कम हों तेरे सफलता के आगे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दिन के उजाले में तू जगमगाए,
रात के अँधेरे में तू चमचमाए !!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये,
खुशियाँ तेरे दर पे बरस जाये!!
 

Monday, February 28, 2011

कभी यूँ भी तो हो

कभी यूँ भी तो हो,

बंद पलकों में सपने हों,
और खुलती आँखों में अपने हों!!

कभी यूँ भी तो हो,

नींद की जब विदाई हो,
सबेरा कुछ और सुहाना सा हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

आसमान कुछ और आसमानी सा हो,
सूरज कुछ और रोशन सा हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

मौसम कुछ दीवाना सा हो,
फिजाओं में कुछ अनजानी महक सी हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

बंद पलकों में सपने हों,
और खुलती आँखों में अपने हों!!

Thursday, February 24, 2011

क्या लिखूं?

क्या लिखूं?
सच लिखूं  या झूठ का साज सुनाऊं!!

अपने मन का भाव सुनाऊं या चुप  रहूँ,
दुनिया को देखूं और दिखाऊं!!

क्या समझूं ?

उसको बाचूँ जो दिखता है,या उसको समझूँ जो समझाया जाता है1
दुनिया को देखूं, और अलग-अलग बातें सीखूं !!

क्या बताऊ?

अपनी झूटी खुशियाँ दिखलाऊं,
और दुःख का भाव छुपाऊं!!

और क्यूँ न  इन सब से अच्छा करूँ?
क्यूँ न चुप रहूँ !!

इस दोहरेपन को दुनिया की रीत समझूँ ,
ख़ामोशी की आवाज सुनु और सुनाऊं!!

सबकुछ छुपाऊं,
और हंस कर अपना नाम सार्थक करूँ !!

 -हर्षिता   

Thursday, February 17, 2011

लड़का लडकी दोनों, एक सिक्के के दो पहलू जैसे

लड़का लडकी दोनों,
एक सिक्के के दो पहलू जैसे !!

या फिर दोनों,
दिन-रात जैसे !!

जैसे जब रात हो तभी दिन होगा,
एक के बिना दूसरा अधूरा होगा!!

दोनों एक विधाता की कृतियाँ,
प्रदान की गयी जिनको अलग अलग छवियाँ !!

कैसे कोई किसी पे आक्षेप लगाये,
कि उसमे हैं कमियां!!

शायद होती होंगी सबकी अपनी कमियां,
या मिली होंगे अलग अलग शक्तियां!!

लड़का लडकी दोनों,
सदैव रहे अतुलनीय जैसे!!

दोनों सिक्के के दो पहलू जैसे,
दिन रात न हो सकता जैसे!!

लड़का न लडकी हो सकता वैसे,
फिर लडकी लड़का हो सकती कैसे!!

दिन रात दोनों का होना जरुरी जैसे,
लड़का लडकी दोनों का होना जरुरी वैसे!!

लड़का लडकी दोनों,
एक सिक्के के दो पहलू जैसे !!