Friday, May 10, 2013


वो दिन कुछ अजीब सा था ,
सबकुछ कोहरे में डूबा सा था!!

भयानक ठण्ड का मौसम था
बर्फ में सबकुछ भीगा था!!

घर की खिड़की से कुछ मैंने देखा था,
सामने एक चरागाह था!!

जो की हरी घास से भरा रहता था
 धुप के दिन में अच्छा लगता था!!

उस दिन  भी अच्छा लग रहा था,
तभी मुझे दिखाई दिया !!

चरागाह में पक्षी कोई बैठा था
ठण्ड से अपने में सिमट रहा था!!

शायद सोच रहा था,
उसका भी कोई घर होता,तो उसमे दुबका रहता!!

तभी मुझे दूर से आती दिखाई दी एक  गाय,
गाय निकट जा पहुंची करके धीमी चाल!!

पक्षी डरा भयानक उसे देख के
वो बेचारा उड़ना चाहता था!!

पर उड़  न सका ठण्ड से, जब तक वो उड़ पाता,
गाय पहुँच गयी उसके पास!!

उसने तो झटपट उस पक्षी की पकड़ी टांग
वाह री गाय वाह री किया कमाल!!

और वो पक्षी खो गया कहीं अचानक से
उस ठण्ड के मौसम में खो गया था
शायद बर्फ में डूब गया था!!

Sunday, December 4, 2011

क्या मैंने चाहा और क्या पा लिया?


मन के कुछ भावों में से एक ये भी है,एक लड़की के मन में उठने वाली दुविधा को मैंने शब्द देने का प्रयास कर रही हूँ----
 
क्या मैंने चाहा और क्या पा लिया?
खुदा से दुआओं में तुमको माँगा,
मेरी दुआओं में रंग आया,
और जिंदगी में पाया तुमको!!
अपने जीवन का केंद्र बिंदु बनाया तुमको,
पर तुमने सदैव वसुधेव कुटुम्बकम का राग आलापा,
वक्त ने कैसे दोराहे पे किया खड़ा,
तुममे अपनी खुशियाँ धुंडू या तुम्हारी खुशियों को अपना मानूँ,
तुम्हारे लिए सबकुछ छोड़ा,
पर तुमको कैसे छोडूँ?
इतनी निस्वार्थी कैसे बनूँ!!
तुमको छोड़ नहीं सकती,
तुम्हारी खुशियों को अपना नहीं सकती,
तो सोचने पे मजबूर हूँ,
क्या मैंने चाह और क्या पा लिया ?

Sunday, August 21, 2011

एक परिंदा उड़ने चला

एक  परिंदा  उड़ने  चला ,
नीले  गगन  में  उड़ने  चला!!

उंचे  आसमान  में उड़ने चला,
अपने आप में सिमटा  हुआ  चला !!

बादलों  को  छूने  का  ख्वाब  आखों  में बसाये  चला,
सूरज  को छूने की  तमन्ना  लिए  चला!!

दिल  में नीचे गिरने  का दर  बसाये चला,
मेरे  पंख जल  न  जाये  ये  सोचते  हुए  चला!!

एक  परिंदा उड़ने  चला,
नीले गगन में उड़ने   चला!!

Tuesday, August 16, 2011

महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं,


महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं,
कैसा स्वतत्रंता  दिवस और किसका स्वत्रंता दिवस?
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

कैसा १५ अगस्त और कैसी २६ जनवरी ?
कैसा लोकत्रंत है और किसका लोकत्रंत ?
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

सरे आम  हुई लोकत्रंत की हत्या , हो के अन्ना की गिरफ़्तारी
लोकत्रंत का यहाँ सम्मान नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!

शहीदों ने की थी आजादी की कामना,
अपने लोगों की गुलामी को किया था बलिदान नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!

माफ़ करना तुम  इस देश की जनता को,तुम्हारा सपना रहा अधूरा,
आजादी का हुआ सम्मान नहीं,
मिली  स्वत्रंता ऐसी जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं!!

देश बन गया भ्रष्टाचार का भंडार,स्वत्रंतता अ यहाँ नाम नहीं 
नेता घूम रहे खुले आम लिए घोटालों का भंडार
वहीँ आम आदमी कोजीने का अधिकार  नहीं!!

 स्विस बैंक में नेताओं के  नोटों का भंडार,
आम आदमी के पास  खाने  को अनाज  नहीं,
महात्मा गाँधी के देश में अनशन का अधिकार नहीं!!
     
अन्ना हमको पूरी आजादी दिलाओ जो शहीदों ने चाही, 
जहाँ आम आदमी को अपनी बात कहने का अधिकार मिले 
वर्ना हमको जीने का अधिकार नहीं!!

Sunday, August 14, 2011

एक सुहाना सफ़र



             इस बीच काफी व्यस्तता सी रही , तो ब्लॉग पे आने का ,कुछ लिखने का, कुछ कहने समय ना मिल पाया. आज सोचा कुछ शब्द लिखूंलिखूं उन भावनाओ को जो एक इंसान के मन में शादी करते समय आती हैं. उम्मीद है आप लोगों का समर्थन और स्नेह मुझे मिलेगा, मेरे इस नए सफ़र में . तो इसी उम्मीद  के साथ ब्लॉग में एक हलचल करती हूँ.

एक नया एहसास, कुछ नए अल्फाज,
पल पल हम बढ़ रहे साथ साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

वो सफ़र जो लाया अपने साथ,
कुछ नए लम्हात,कुछ नए एहसास,
कुछ नए दिन और कुछ नयी बात!!

पा कर आप सभी का प्यार,
बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

आँखों में लिए सपने हज़ार,करना है जिनको  साकार,
बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

सामने खडी है एक नयी जिंदगी,
स्वागत को उत्सुक परिवार,ले कर उम्मीदे हज़ार,
बढ़ चले एक नए सफ़र पे , ले कर सबको साथ!!
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

आयीं है नयी खुशियाँ और सपने  हज़ार,
करना है जिनको साकार,
हम बढ़ चले साथ साथ,
एक नयी डगर पे,एक नए सफ़र की ओर!!

सामने खड़े हैं कुछ नए पल,
इंतजार किया जिनका हर पल!!
नए रिश्तों को संजोते हुए
हम बढ़ चले एक नए सफ़र पे, एक नयी डगर की ओर!!

Friday, April 1, 2011

तेरे वास्ते

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
खुशियों से भरे हो तेरे रास्ते,
महफ़िलें सजती रहें तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
मुस्कराहट तेरे चेहरे पे बस जाये ऐसे,
खुशबू से फूलों का साथ है जैसे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कामयाबी से भरे हों तेरे रास्ते,
खुशियाँ बरसे तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
कोशिश कामयाबी में बदल जाये तेरे वास्ते
असफलता सफलता में बदल जाये तेरे वास्ते!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
धरती की गहराइयाँ भी कम  हो तेरी खुशियों के आगे ,
आसमान की ऊँचाइयाँ भी कम हों तेरे सफलता के आगे!!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दिन के उजाले में तू जगमगाए,
रात के अँधेरे में तू चमचमाए !!

क्या करूँ तेरे वास्ते ?
खुदा से सब कुछ  मांग लूँ  तेरे वास्ते!!
दुआ ये मेरी कुबूल हो जाये,
खुशियाँ तेरे दर पे बरस जाये!!
 

Monday, February 28, 2011

कभी यूँ भी तो हो

कभी यूँ भी तो हो,

बंद पलकों में सपने हों,
और खुलती आँखों में अपने हों!!

कभी यूँ भी तो हो,

नींद की जब विदाई हो,
सबेरा कुछ और सुहाना सा हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

आसमान कुछ और आसमानी सा हो,
सूरज कुछ और रोशन सा हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

मौसम कुछ दीवाना सा हो,
फिजाओं में कुछ अनजानी महक सी हो!!

कभी यूँ भी तो हो,

बंद पलकों में सपने हों,
और खुलती आँखों में अपने हों!!