Monday, January 10, 2011

स्वतन्त्रत


गुजर गये है दशक स्वतन्त्रता प्राप्त किये,
हम स्वतन्त्रत है??
पर क्या हम वास्तव मै स्वतन्त्रत है????
नही हम स्वतन्त्रत नही है.

स्वतन्त्रता का झुटा दिखावा करते है.
सही मायनो मे स्वतन्त्रत तो ये पक्षी है.
जिन्हे कोई सरहद रोक नही पाती.
हम तो बस स्वतन्त्रता का दिखावा करते है!!!
बडी बडी बाते करते है, वाद विवाद करते है.
पर हम सब आज भी परतन्त्र है.
हम छुना चाहते है खुले आसमान को ,
पर क्या छु सकते है, नही ना..
ऐसी ही हजारो ख्वाहिशे हर रोज किसे के अन्दर दम तोडती है
पर कभी पूरी नही हो पाती,क्यौकी हम परतन्त्र है..

ये परतन्त्रता सामने आती है
कभी किसी बन्धन के रूप मे, तो कभी पैरो मे पडी बेडियो के रूप मे,
या फिर कभी किसी बडे के लिहाज के रूप मे, या फिर किसी को दिये वचन के रूप मे,

तो हम कैसे स्वतन्त्रत हो सकते है!!!
हम तो बस स्वतन्त्रता का दिखावा करते है,
कि हम स्वतन्त्रत है.

किन्तु परतन्त्र होने मे योगदान किसका है?
मेरा खुद का, या मेरी आकन्क्षाओ का??
शायद मेरा ही होगा......
फिर भी मान लेते है कि हम स्वतन्त्रत है!!!!!

2 comments:

  1. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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